| मेरे सपनो को जानने का हक रे | | mere sapnon ka janne ka huk re |
| क्यों सदियों से टूट रही है | | kyun sadiyon se toot rahe hai |
| इनको सजने का नाम नहीं | | inko sajne ka naam nahin |
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| मेरे हाथों को जानने का हक रे | | mere haathon ko janne ka huk re |
| क्यों बरसों से खली पड़ी हैं | | kyun barson se khali pade re |
| इन्हें आज भी ककम नहीं है | | inhein aaj bhi kaam nahi hai |
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| मेरी पैरों को यह जानने का हक रे | | mere pairon ko yeh janne ka huk re |
| क्यों गाँव गाँव चलना पड़ा रे | | kyon gaon gaon chalna pade re |
| क्यों बस की निशान नहीं | | kyon bus ka nishan nahi |
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| मीर भूक को जानने का हक रे | | meri bhUkh ko yeh janne ka huk re |
| क्यों गोदामों में सड़ते हैं दाने | | kyon godamon mein sadte hain daane |
| मुझे मुट्ठी भर दाना नहीं | | mujhe mutthi bhar dhan nahi (paddy) |
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| मेरी बूढी माँ को जानने का हक रे | | meri budhi maa ko janne ka huk re |
| क्यों गोली नहीं सुई दवाखाने | | kyon goli nahi sui davakhane |
| पट्टी टाकने का सामान नहीं | | patti tanke ka saman nahi |
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| मेरे खेतों को यह जानने का हक रे | | mere kheton ko yeh janne ka huk re |
| क्यों बाँध बने हैं बड़े बड़े | | kyon bandh bane re bade bade |
| तो भी फसल में जान नहीं | | To bhi faslon mein jaan nahi |
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| मेरे जंगलों को यह जानने का हक रे | | mere jungalon ko yeh janne ka huk re |
| कहाँ डालियाँ वोह पत्ते टेल मिटटी | | kahan daliyan woh patte tane mitti |
| क्यों झरनों का नाम नहीं | | kyon jharno ka nam nahi |
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| मेरे नदियों को यह जानने का हक रे | | meri nadiyon ko janne ka huk re |
| क्यों ज़हर मिलाये कारखाने | | kyon zeher milaye karkhane |
| जैसे नदियों में जान नहीं | | jaise nadiyoon mein jaan nahi |
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| मेरे गाँव को यह जानने का हक रे | | mere gaon ko jaan ne ka huk re |
| क्यों बिजली न सदके न पानी | | kyon bijli na sadke na pani |
| खुली राशन की दुकान नहीं | | khuli ration ki dukan nahi |
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| मेरे वोटों को यहे जानने का हक रे | | mere voton ko ye jann ne ka huk re |
| क्यों एक दिन बड़े बड़े वाडे | | kyon ek din bade bade vaade |
| फीर पांच साल काम नहीं | | fir panch saal kam nahi |
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| मेरे राम को यह जानने का हक रे | | mere raam ko janne ka huk re |
| रहमान को यह जानने का हक रे | | rehman ko ye jannne ka huk re |
| क्यों खून बह रहे सड़कों में | | kyon khoon bahe re sadkon pe |
| क्या सब इन्सान नहीं | | kya sab insaan nahi |
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| मरी ज़िन्दगी को यह जानने का हक रे | | meri zindagi ko janne ka hak re |
| अब हक के बिना भी क्या जीना | | ab hak ke bina bhi kya jeena |
| यह जीने के समान नहीं | | yeh jeene ke samaan nahin |